रक्षाबंधन 2025
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आचार्य अमित दुबे ने बताया -रक्षाबंधन 2025 :इस दिन बाँधें राखी, जानिए शुभ मुहूर्त और भद्रा काल की पूरी जानकारी

उसी दिन ही श्रवण नक्षत्र तथा पूर्णिमा मतावलंबी तथा अन्य शाखा के अनुयायियों का उपाकर्म (श्रावणीकर्म) सम्पन्न होगा

रक्षाबंधन 2025 की तारीख और महत्व 


आचार्य अमित दुबे ने बताया रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने वाला पर्व है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहन को जीवनभर उसकी रक्षा का वचन देते हैं

इस साल रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 शनिवार को मनाया जाएगा

आचार्य अमित दुबे ने बताया इस वर्ष राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त
राखी बाँधने का शुभ समय:

9 अगस्त 2025 को सुबह 06:04 बजे से शाम 05:59 बजे तक , इस समय के दौरान राखी बाँधना बेहद शुभ माना जाएगा

भद्रा काल का समय

खुशखबरी यह है कि इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं पड़ेगा। इसका मतलब पूरे शुभ मुहूर्त में आप निश्चिंत होकर राखी बाँध सकते हैं।

आचार्य अमित दुबे ने बताया रक्षाबंधन पर क्या करें?

  • सुबह स्नान करके भगवान गणेश और अपने इष्टदेव का पूजन करें।
  • भाइयों की कलाई पर तिलक करके राखी बाँधें।
  • राखी बाँधने के बाद मिठाई खिलाकर भाई की लंबी उम्र की कामना करें।
  • भाई बहन को उपहार देकर उसकी रक्षा का वचन दें

   आचार्य अमित दुबे ने बताया
उसी दिन ही श्रवण नक्षत्र तथा पूर्णिमा मतावलम्ब तथा अन्य शाखा के अनुयायियों का उपाकर्म (श्रावणीकर्म) सम्पन्न होगा

इस दिन क्या क्या होता है?

यह एक वार्षिक वैदिक अनुष्ठान है जो ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्य पुरुषों द्वारा किया जाता है।

इसमें यज्ञोपवीत (जनेऊ) का पुनः धारण करना, पुरानी जनेऊ को त्यागना, और नई जनेऊ धारण करना प्रमुख होता है।

आचार्य अमित दुबे के अनुसार इस दिन के प्रमुख कर्म:

1. स्नान और संकल्प
2. गायत्री जप
3. ब्रह्म यज्ञ
4. यज्ञोपवीत परिवर्तन
5. ऋषियों की पूजा (विशेषकर ऋषि दयानंद, वशिष्ठ, अगस्त्य आदि)

आचार्य अमित दुबे ने बताया श्रावणी कर्म क्या है?

श्रावणी कर्म उसी उपक्रम का एक भाग है जो श्रावण मास की पूर्णिमा को किया जाता है यह विशेष रूप से श्रावणी उपनयन संस्कार या वेदपाठ के पुनः आरंभ से जुड़ा हुआ है।

यह क्या होता है?

श्रावण पूर्णिमा को किए जाने वाले वेदों से संबंधित धार्मिक अनुष्ठान को ही श्रावणी कर्म कहा जाता है

इसमें ऋषियों की पूजा, यज्ञोपवीत धारण, गायत्री मंत्र का जप, और ब्रह्म यज्ञ होता है।

 

रक्षाबंधन का महत्व
यह पर्व केवल धागे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आपसी प्रेम, विश्वास और कर्तव्य की भावना का प्रतीक है


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